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“जिसने भी इस जीवन में  मांस और मछली खाया है कसाई, काल (नकारात्मक शक्ति) द्वारा कैद में बंध जाता है। इस तरह के व्यवहार से  कुछ भी अच्छा नहीं निकलेगा। इसे संन्यासी के लेखन से सबूत के तौर पर लें। नानक और कबीर ने  एक ही संदेश दिया है, दादू और दान्या ने  समान गीत गाया है।”

 
          








 
           
          
