विवरण
डाउनलोड Docx
और पढो
प्रिय सुप्रीम मास्टर चिंग हाई जी, मैं गुरु परमहंस योगानंद का शिष्य हूं, और मेरी पत्नी को बहुत समय पहले आपसे दीक्षा मिली थी। हाल ही में मुझे लगा कि मुझे आपके सम्मान में एक कविता लिखनी चाहिए। यह मुझे जल्दी ही एहसाह हुआ। मैं यहां आपके समक्ष इसका विनम्र परिणाम प्रस्तुत करना चाहूंगा:धन्य पृथ्वीस्वर्गीय पिता, दिव्य माता, मित्र, प्रिय ईश्वर, अपनी पुत्री, अपने पुत्र को सुप्रीम मास्टर चिंग हाई जी के वर्तमान स्वरूप में समर्थन करें और आशीर्वाद दें, ताकि लोग और सभी प्राणी उनकी उपस्थिति से उन्नत होते रहें।कामना है कि वह अनेक लोगों और पशु-जनों को बचाती रहे, ताकि यदी मानवता सिकुड़ जाए भी, तो भी पृथ्वी और अधिक प्रकाशमान रहे, आपके निकट आने से प्राप्त आनंद से चमकते हुए, प्रिय दिव्य माता, पिता!और यदि एक दिन गुरुवर अपना सांसारिक आवरण त्याग भी, तो भी उनकी धन्य प्रभा बढ़ेगी, और अनेक लोग और अन्य आत्माएं उनसे निकलने वाली पवित्रता का अनुभव करेंगी, जो उनसे प्रकाशित होती हैं और सृष्टि को और भी अधिक प्रकाशित करेगी।तूफान, पीड़ा और "मृत्यु" एक बात है - लेकिन आंतरिक इलाज बढ़ेगा और ग्रह पृथ्वी को उज्ज्वल आनंद की ओर ले जाएगा!हम आपको धन्यवाद देते हैं, दिव्य माता, स्वर्गीय पिता! हम आपको धन्यवाद देते हैं, अल्टिमेट मास्टर (परम गुरुवर)! हम आपको धन्यवाद देते हैं, संतों और मुनियों!सुप्रीम मास्टर, समस्त सृष्टि के प्रति आपकी करुणा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। यह मुझे गहराई से छूता है और मुझे खुश करता है! मानवता, पशु-जनों और समस्त प्रकृति के आध्यात्मिक कल्याण के प्रति आपकी प्रतिबद्धता एक बहुत बड़ा आशीर्वाद है और यह अनगिनत प्राणियों को विश्व के सृष्टिकर्ता के करीब आने में मदद करती है, जो हमारे जीवन का सच्चा उद्देश्य है। मैं और मेरी पत्नी पूरे दिल से कामना करते हैं कि सर्वशक्तिमान ईश्वर गुरुवर की रक्षा करें और उन्हें स्वस्थ रखें तथा वे इस संसार में लम्बे समय तक जीवित रहें! प्यार और कृतज्ञता के साथ, जर्मनी से मैक्सिमिलियन (वीगन)वाक्पटु मैक्सिमिलियन, आपके द्वारा लिखी गई मार्मिक कविता और संदेश को पढ़कर हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं, और गुरुवर के इन प्रेमपूर्ण शब्दों को आप तक पहुँचाने में हमें खुशी हो रही है:“आध्यात्मिक रूप से उन्नत मैक्सिमिलियन, आपका सुंदर नोट मेरे दिल और आत्मा को गहराई से छू गया! धन्यवाद, मेरे प्रिय! परमहंस योगानन्द (शाकाहारी) को दुनिया भर में तथा स्वर्ग में बहुत आदर किया जाता है, और वे आज भी उन सभी आत्माओं की सहायता करते हैं जिन्हें उनके आशीर्वाद की जरूरत होती है। मेरे एक परमेश्वर के एक शिष्य ने उनसे प्रार्थना की थी कि वे उन्हें उस समय की गन्दी दुनिया से बचा लें, आप जानते हैं, जो विषैले पदार्थों से भरी हुई थी, और उक्त महान गुरु ने उस हताश व्यक्ति को मेरे पास निर्देशित दिया। मुझे उनकी अनमोल पुस्तक बहुत पसंद है, जो अनगिनत आत्माओं को बचाती है। अपने हृदयस्पर्शी शब्दों को साँझा करने के लिए धन्यवाद। आपकी सुंदर कविता के माध्यम से आपके प्यार और स्नेहशील समर्थन महसूस किया जा सकता है। यह जानकर खुशी हुई कि आपके जैसे ईमानदार और दयालु लोग भी हैं जो समर्पित हैं और ईश्वर के अच्छे सेवक हैं, और ईश्वर में आस्था साँझा करते हैं। कामना है कि आप और विश्व-समर्थक जर्मनी सदैव ईश्वर के असीम प्रेम और प्रकाश से प्रेरित और प्रकाशित होते रहें। मैं आपको मेरा प्यार भेज रही हूँ। आपको और आपकी पत्नी को मैं महान गुरु योगानंद के सर्वव्यापी प्रेम में गले लगाती हूँ।”