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और अब हमारे पास इंडोनेशिया के तुलुंगगुंग में सारी से एक दिल की बात है:नमस्कार सुप्रीम मास्टर चिंग हाई। मैं एक मुस्लिम अभ्यासी हूं। मैं अक्सर उपवास करती हूं, संयम का अभ्यास करती हूं, और तहज्जुद की नमाज़ पढ़ती हूं, लेकिन मुझे अपने अंदर असंतोष महसूस होता है। प्रार्थना करते समय मैं रो पड़ी। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, “मुझे क्या करना चाहिए?” मेरे दोस्त ने मुझे हरे आवरण वाली गुरुवर की एक छोटी पुस्तक दी। गुरुवर ने थाई कपड़े पहने थे, लेकिन जब मैंने गुरुवर के कपड़े देखे, तो मुझे आश्चर्य हुआ कि उन्होंने ऐसे कपड़े पहने थे, जबकि एक मुस्लिम साधक के रूप में, महिलाओं को ढके हुए कपड़े और हिजाब पहनना होता है। मैंने किताब को छह महीने के लिए रख दिया था। लेकिन चूँकि मैं सत्य को खोजना चाहती थी, इसलिए मैंने इसे पढ़ा। इसे पढ़ने के बाद मुझे लगा कि इसकी विषय-वस्तु अच्छी थी। इसमें मक्रिफात, तसव्वुफ (सूफी धर्म) की शिक्षाएं थीं, जो इस्लाम का सार है।मैंने गुरुवर की एक और किताब ढूंढने की कोशिश की और मेरे दोस्त ने मुझे वह किताब उधार दिया। उस पुस्तक में एक सच्चे गुरु के बारे में बताया गया था और मुझे एहसास हुआ कि यही वह चीज़ है जिसकी मुझे तलाश थी। फिर मैंने गुरुवर की पुस्तकों के खंड 2 और 3 खरीदे, और मुझे दुविधा महसूस हुई क्योंकि आमतौर पर ईद-उल-अजहा के दौरान, मैं जानवर-जनों की बलि देती थी, लेकिन पुस्तक में इसका उल्लेख नहीं था। अंततः मैंने एक इस्लामी किताब पढ़ी। वहाँ मैंने पाया कि हमें पशु-जन की बलि नहीं देनी है, बल्कि मुझे स्वयं का, अर्थात् अपने अहंकार का खात्मा करना है। अंततः, मैंने कोई बलि नहीं दी, और मुझे संतुष्टी हुई। मेरे परिवार की ओर से भी मुझे बहुत सी बाधाएं झेलनी पड़ीं। उन्हें लगा कि मैं अजीब हूं, और मैंने कहा कि मैं स्वास्थ्य कारणों से वीगन हूं। लेकिन चूंकि गुरुवर ने कहा था कि मुझे ईमानदार रहना होगा, इसलिए जब मैं लोगों के घर जाती थी तो मैं कहती थी कि मैं वीगन हूं।अंततः मैंने अपना मन बना लिया, क्योंकि गुरुवर धर्मों के बीच भेदभाव नहीं करते। अपने आंतरिक दृष्टि में मैंने गुरुवर को देखा, जिन्हओंने इंडोनेशियाई शैली के कपड़े पहने हुए थे, और मैंने रोते हुए गुरुवर के चरणों में सिर झुकाया और पूछा कि मैं इतने लंबे समय से उसी परिस्थिति में क्यों अटकी हुई हूँ। गुरुवर ने जवाब दिया, "ऐसा इसलिए है क्योंकि आप बहुत अधिक सोचते हो।" विचार धोखा देने वाले होते हैं। हमें विश्वास रखना होगा।” मुझे पुनः एक आंतरिक दर्शन मिला, जहाँ एक महिला क्वान यिन दूत के साथ गुरुवर से मेरी मुलाकात हुई। मुझसे पूछा गया कि क्या मुझे दीक्षा मिली है? मैंने अपने हाथों को देखा और उन पर तेल लगाया गया था, और जब मैं जागी तो मुझे महसूस हुआ कि जैसे यह सब सच था। अंततः मैं अधिक आश्वस्त हो गई और 11 जून 2000 को मुझे दीक्षा मिली।कभी-कभी, जब मैं सोचती हूँ कि क्या मैं अभी भी गुरुवर की शिष्या हूँ या नहीं, तो मुझे तुरन्त एक आंतरिक दर्शन होता है कि गुरुवर मेरे सामने हैं और मेरे अन्दर हैं, जिससे मुझे शांति का अनुभव होता है। आपको धन्यवाद, गुरुवर, हर चीज़ के लिए, और इस संसार में आपकी उपस्थिति के लिए भी धन्यवाद। मैं आशा करती हूँ कि अधिक से अधिक लोग वीगन बन जाएं। तुलुंगागुंग, इंडोनेशिया से सारीनिष्ठावान सारी, हमें आपकी कहानी सुनकर बहुत खुशी हुई कि किस तरह आपने गुरुवर को पाया और दीक्षा प्राप्त की।गुरुवर के पास आपके लिए कुछ आश्वस्त करने वाले शब्द हैं: "दृढ़ सारी, आपके प्रेम, और क्वान यिन पथ पर निष्ठा के लिए धन्यवाद। कई बाधाओं के बावजूद आपकी दृढ़ता प्रशंसनीय है। सभी आंतरिक एवं बाह्य प्रतिरोधों पर काबू पाकर, आपने अपने घर का रास्ता पा लिया है। दीक्षा सबसे अनमोल उपहार है। गुरुवर की शक्ति सदैव आपके साथ रहेगी और आपको घर तक मार्गदर्शन देती रहेगी, जब तक आप पंचशीलों का पालन करते रहेंगे। यह अच्छी बात है कि आपने अपने आंतरिक गुरुवर की यह सलाह मान ली है कि ज्यादा न सोचें। मानव मन में अधिकांश विचार बकवास होते हैं और परमेश्वर को जानने में बाधा डालते हैं। क्वान यिन विधि से ध्यान करते रहें और अंततः आपको इस सत्य का एहसास हो जाएगा कि आप कौन हैं। आप और इंडोनेशिया के प्रसन्न लोग अपने दैनिक जीवन में स्वर्गीय आनंद का अनुभव करें। मैं आपको हमेशा प्यार करती हूँ।"